प्रदेश सरकार ने राज्य में किरायेदारी को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है, कैबिनेट ने 10 वर्ष तक की अवधि के किरायानामा विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट मंजूर कर दी है, जिससे भवन स्वामी और किरायेदार दोनों किरायानामा लिखित रूप में तैयार करें और रजिस्ट्री कराएं, इससे विवाद कम होंगे और किरायेदारी विनियमन अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन हो सकेंगे,वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि वर्तमान नियमों के अनुसार एक वर्ष से अधिक अवधि की किरायेदारी विलेख की रजिस्ट्री अनिवार्य है, लेकिन आमतौर पर अधिकांश किरायानामे मौखिक होते हैं या यदि लिखित होते भी हैं तो उनकी रजिस्ट्री नहीं कराई जाती है।
प्रदेश कैबिनेट ने दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी देते हुए इसकी सीमा नगरीय क्षेत्रों से बढ़ाकर पूरे प्रदेश तक कर दी है,अब राज्य के सभी जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिष्ठान भी इस कानून के दायरे में आएंगे. इससे अधिकतम श्रमिक कानूनी संरक्षण के दायरे में आएंगे और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी,श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि संशोधन के तहत यह अधिनियम अब उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जिनमें 20 या उससे अधिक कर्मकार कार्यरत हैं. इससे छोटे प्रतिष्ठान बिना अतिरिक्त बोझ के अपनी आर्थिक गतिविधि को सुचारू रख सकेंगे,जबकि बड़े प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को अधिनियम के तहत मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे,सरकार का मानना है कि इससे प्रदेश में व्यापारिक गतिविधियां और तेज होंगी।
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