उत्पन्ना एकादशी 2025 तिथि 15 नवंबर 2025 को अर्धरात्रि 12 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 16 नवंबर को मध्यरात्रि में 2 बजकर 37 मिनट पर होगा,इस तिथि को देवी एकादशी के जन्म के रूप में भी जाना जाता है, ज्योतिषों की सलाह है कि इस दिन तुलसी से जुड़ी कुछ गलतियां बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।
राहुकाल के समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना या पूजा-पाठ करना शुभ नहीं माना जाता है,ऐसे में उत्पन्ना एकादशी के दिन राहुकाल का समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है-
राहुकाल का समय – सुबह 9 बजकर 25 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक होगा
आपको इस समय में पूजा-पाठ या किसी भी तरह के शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए,वरना आपको उस कार्य का शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होता।
इस समय में करें पूजा –
अभिजीत मुहूर्त-सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से उत्पन्ना एकादशी की पूजा में भगवान विष्णु को पीला चंदन और पीले रंग के पुष्प अर्पित कर सकते हैं,इसके साथ ही प्रभु श्रीहरि के भोग में तुलसी दल भी जरूर शामिल करें। लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी तोड़ने की मनाही होती है,ऐसे में आप एक दिन पहले भी तुलसी के पत्ते उतारकर रख सकते हैं,एकादशी की पूजा में विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना भी काफी शुभ माना गया है।

उत्पन्ना एकादशी की कथा के मुताबिक, सतयुग में मुर नाम का एक राक्षस था, मुर ने अपने पराक्रम से स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया,मुर के कारण इंद्र, वायु, अग्नि जैसे देवताओं को मृत्युलोक जाना पड़ा, देवराज इंद्र ने भगवान शिव से अपनी समस्या बताई. लेकिन भगवान शिव ने देवताओं को भगवान विष्णु के पास जाने की सलाह दी,फिर भगवान विष्णु ने मुर राक्षस से हजारों वर्षों तक युद्ध किया,आखिरकार थक कर वे बद्रिकाश्रम में विश्राम करने लगे,जब मुर ने सोए हुए विष्णु भगवान पर हमला करने की कोशिश की,तब भगवान के शरीर से एक दिव्य तेज़ रूप में एक देवी उत्पन्न हुईं उन्होंने तुरंत मुर राक्षस का वध कर दिया,भगवान विष्णु जागने पर अत्यंत प्रसन्न हुए और कहा देवी तुम मेरे भक्तों को पापों से मुक्त करोगी,जो भी तुम्हारे दिन व्रत रखेगा,उसे मोक्ष और पुण्य प्राप्त होगा,उसी दिन से इस तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहा गया।
मुकेश श्रीवास्तव: धार्मिक मामलों के जानकार
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